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बंगाल में 25 हजार शिक्षकों का क्या होगा भविष्य?

शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पहले भी कई तृणमूल पदाधिकारी जेल जा चुके हैं.

बंगाल में 25 हजार शिक्षकों का क्या होगा भविष्य? जानें फैसले का चुनाव से पहले ममता सरकार पर क्या पड़ेगा असर

शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पहले भी कई तृणमूल पदाधिकारी जेल जा चुके हैं. इनमें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और राज्य शिक्षा विभाग के कई अधिकारी शामिल है.

बंगाल में 25 हजार शिक्षकों का क्या होगा भविष्य? जानें फैसले का चुनाव से पहले ममता सरकार पर क्या पड़ेगा असर

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में 22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की बनर्जी सरकार को बड़ा झटका देते हुए पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग पैनल द्वारा साल 2016 में की गई स्कूल शिक्षक भर्ती रद्द कर दी है.  जिससे लगभग 25 हजार सरकारी शिक्षकों की नौकरियों पर तलवार लटक रही है.  इस आदेश के बाद सभी शिक्षकों को चार हफ्ते के भीतर ब्याज के साथ वेतन भी वापस लौटाना होगा.

ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है और बंगाल में 25 हज़ार शिक्षकों का क्या होगा

क्या है पूरा मामला
साल 2014 में पश्चिम बंगाल सरकार ने पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग (WBSSC) के जरिए सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ भर्ती किया था. इस भर्ती के लिए एक टेस्ट का भी आयोजन किया गया था.

इस परीक्षा में 24, 640 रिक्त पद थे और 23 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे. भर्ती की ये पूरी प्रक्रिया साल 2016 तक पूरी हुई. हालांकि, इस पूरे मामले में अनियमितता को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर की गईं.

याचिका में लोगों ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान जमकर घूस देकर नौकरी पाई गई है. इन पदों पर भर्ती के लिए कम से कम 5 से 15 लाख तक का घूस लिया गया था.

इस पूरे मामले को शिक्षक भर्ती घोटाला का नाम दिया गया. पश्चिम बंगाल हाईकोर्ट में इस मामले में रीट दाखिल की गई थी, जिस पर 22 अप्रैल को सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इन सभी नौकरियों को रद्द करने का आदेश सुनाया गया था.

सुनवाई के दौरान जज देबांशु बसाक और जज मोहम्मद सब्बीर रशीद की खंडपीठ ने कहा कि जो लोग लंबे वक्त से अवैध तरीके से काम कर रहे हैं, उन्हें 12% ब्याज सहित पूरी सैलरी लौटानी होगी.

कई लोग जेल भी जा चुके हैं 

शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पहले भी कई तृणमूल पदाधिकारी जेल जा चुके हैं. इनमें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और राज्य शिक्षा विभाग के कई अधिकारी शामिल है.

टीईटी परीक्षा में फेल उम्मीदवारों को भी मिल गई नौकरी
इस पूरे मामले में याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे उन्हें भी मेरिट लिस्ट में ऊपर स्थान दे दिया गया था. इतना ही नहीं कुछ उम्मीदवार तो ऐसे थे जिनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं होने के बाद भी उन्हें नौकरी दे दी गई.

याचिकाकर्ताओं ने ये भी दावा किया है कि कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जिन्होंने टीईटी परीक्षा भी पास नहीं की थी. जबकि इस पद पर नौकरी करने के लिए टीईटी की परीक्षा पास करना अनिवार्य है.

बंगाल में 25 हज़ार शिक्षकों का क्या होगा

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शिक्षकों को 7-8 सालों में जो वेतन मिला है उसे ब्याज समेत लौटाना होगा. राज्य के जिला अधिकारियों को इस पैसे की वसूली करने का काम सौंपा गया है.

इसके अलावा न्यायालय ने स्कूल सेवा आयोग को दोबारा से नई नियुक्ति शुरू करने का निर्देश भी दिया है. ऐसे में फिलहाल ये 25 हजार शिक्षक हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.

क्या चुनाव में इस आदेश का पड़ेगा असर 

लोकसभा चुनाव के बीच कलकत्ता हाई कोर्ट के एक आदेश का राज्य की चुनावी राजनीति पर बड़ा असर हो सकता है. इस फैसले के बाद तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों को ही लोकसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा मिल गया है. पश्चिम बंगाल में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं और 19 अप्रैल को हुए पहले चरण में केवल 3 सीटों पर ही चुनाव हुआ है.

भ्रष्टाचार के मुद्दे को धार दे सकती है बीजेपी
चुनाव के दौरान यह पूरा मुद्दा इसलिए भी बड़ा है क्योंकि बीजेपी पिछले कुछ सालों से लगातार शिक्षक भर्ती में घोटाले का मामला उठा रही है. ऐसे में बीजेपी ममता सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर इस मुद्दे को जनता के सामने भुना सकती है. वहीं इसका काट ढूंढना तृणमूल कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा.

फैसले के बहाने बीजेपी साध सकती है निशाना 

वहीं भारतीय जनता पार्टी के हमले की काट के रूप ममता सरकार न्यायपालिका पर निशाना साधने की रणनीति अपना सकती है. ममता बनर्जी ने इस फैसले के बाद कहा कि उनकी सरकार वैसे लोगों के साथ खड़ी रहेगी जिनकी नौकरियां चली गई हैं.

उन्होंने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता न्यायपालिका के फैसलों को प्रभावित कर रहे हैं और हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने न्यायाधीश के फैसले पर सवाल उठाया है. जस्टिस गांगुली के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही उनके द्वारा न्यायाधीश रहते हुए दिए गए फैसलों को लेकर सवाल उठाती रही हैं.

देश में कब कब होंगे मतदान 

16 मार्च 2024 को देश में 18वीं लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा की गई थी. उस वक्त नवनियुक्त चुनाव आयोग ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह सिद्धू के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने इन तारीखों का ऐलान किया. इस बार भारत में 7 चरणों में चुनाव आयोजित किए जाएंगे और इसका रिजल्ट 4 जून 2024 को घोषित किया जाएगा.

इस बार को लोकसभा चुनाव भारत में सबसे लंबे समय तक चलने वाला आम चुनाव भी है जो कुल 44 दिनों तक चलेगा. इस चुनाव से पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को 21 राज्यों में हो चुकी है. इस दौरान लोकसभा की 102 सीटों पर मतदान हुआ.

वहीं  दूसरे फेज की वोटिंग 26 अप्रैल को होगी इस दौरान 12 राज्यों मतदान होंगे और लोकसभा की 88 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. फेज 3 में 7 मई को 13 राज्य की 94 सीटों पर मतदान होगा. वहीं, चौथे चरण में 13 मई को 10 राज्य की 96 सीटों पर मतदान होगा.

पांचवें चरण के लिए वोटिंग 20 मई को 8 राज्यों की 49 सीटों के लिए होगी, जबकि छठे फेज में 25 मई को 7 राज्यों की 57 सीटों पर और सातवें फेज में 1 जून को 8 राज्यों की 57 सीटों पर मतदान किया जाएगा. परिणाम की तारीख 4 जून 2024 रखी गई है.

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